तुम प्रेम हो, मैं प्रीत हूँ
तेरे सुरों का मैं गीत हूँ
मेरी चाल में, अंदाज़ में, तुम ढल गये हर मिजाज़ में
तेरी आहटें, मुस्कुराहटें, पीरो गई वैरागी मन
हुआ बावरा एहसास अब छूकर तुझे निश्छल पवन
था कभी निर्मोही जो उसे मोह तेरा लग गया
सोया हुआ था नींद में तेरे स्पर्श से अब जग गया
जिस पल में मैं जाऊं ठहर उस वक्त के तुम साज़ हो
मेरी स्याही के इन शब्दों में तुम स्नेह की मिठास हो
होठों से रुखसार तक मुझे रंग हया का चढ़ गया
प्रिय तुम को छोड़ कर सारा ज़माना चेहरा पढ़ गया I🌻

Very Nice 😊