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Poetry and Prose

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मन के जीते जीत है मन के हारे हार

मन के जीते जीत है मन के हारे हार

हार गए जो बिन लड़े उनपर है धिक्कार

उनपर है धिक्कार जो देखे न सपना

सपनों का अधिकार असलअधिकार है अपना

अपनों के खातिर करना कुछ आज हमें

अजर अमर कर देना है स्वराज हमें

तु मटी का लाल है कोई कंकड़ या धूल नहीं

तु समय बदल के रख देगा इतिहास लिखेगा भूल नहीं

तु भोर का पहिला तारा है परिवर्तन का एक नारा है

ये अंधकार कुछ पल का है फिर सब कुछ तुम्हारा है


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